सामाजिक
व्यसन को छोड़ें, अवसर को पकड़ें, सफलता होगी कदमों पर: अग्नि
ग्राम पाटनदादर में बीज निगम अध्यक्ष ने की जैतखाम की पूजा
महासमुंद। छग राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम के अध्यक्ष व पूर्व विधायक अग्नि चंद्राकर ने ग्राम पाटनदादर में गुरू घासीदास जयंती कार्यक्रम में जन समूह को संबोधित करते हुए कहा कि यदि हम गुरू घासीदास बाबा के बताए रास्ते पर कुछ प्रतिशत भी चल पाते हैं तो हमारा जीवन सार्थक हो जाएगा। उन्होंने कहा कि गुरू घासीदास बाबा के सिद्धांतों में नशावृत्ति का त्याग भी शामिल है। बाबा की जयंती अवसर पर हम सब नशा त्याग का संकल्प लें। कोई व्यसन या अवगुण है तो उसे तत्काल त्याग दें, बाबाजी को अर्पित कर दें और बाबाजी का आशीर्वाद लेकर अच्छे काम में भिड़ जाएं। बाबा पर आस्था रखते हुए यदि हम ऐसा करते हैं तो सारी सद्ईच्छाएं पूरी होंगी, जीवन खिल उठेगा। श्री चंद्राकर ने कहा कि आज से ढाई सौ साल पहले गुरू घासीदास बाबा ने जो संघर्ष किया, नव चेतना का प्रकाश बिखेरा, उसी का परिणाम है कि आज मनखे-मनखे एक समान हैं। बाबाजी के विचारों और सिद्धांतों को आगे बढ़ाते हुए बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने देश को ऐसी संवैधानिक व्यवस्था दी जिसमें सब जन समान है। आज गांव की दलित आदिवासी लड़की भी कलेक्टर बनने का सपना देख सकती है और संकल्पित होकर उसे साकार भी कर सकती है। समाज में इसके अनेक उदाहरण हैं। श्री चंद्राकर ने युवाओं से आग्रह किया कि व्यसन को छोड़ें, अवसर को पकड़ें, सफलता आपके कदमों पर होगी। श्री चंद्राकर मुख्य अतिथि थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के सदस्य मोहित ध्रुव ने कहा कि आजादी के पहले दलित और आदिवासी दोनों ही वर्ग के लिए अवसर अवरूद्ध थे। शिक्षा से भी रोका जाता था। आज परिस्थितियां बदल गई हैं, सब शिक्षित और संस्कारित हो रहे हैं। ऐसे समय में युवाओं को संभलना और संभालना होगा। गुरू घासीदास बाबा और अंबेडकर के बताए रास्ते पर चलना होगा। इस अवसर पर बालक-बालिकाओं द्वारा पंथी गीत-नृत्य की सुंदर प्रस्तुति के बीच अतिथियों ने पूजा अर्चना की और जैतखाम में पालो चढ़ाया गया। इस मौके पर निगम अध्यक्ष के प्रतिनिधि नारायण नामदेव, सतनामी समाज प्रमुख विष्णु जोशी, पूर्व जनपद सदस्य रामजी ध्रुव, सरेकेल के पूर्व उपसरपंच मोहन ध्रुव, कांग्रेस के सेक्टर प्रभारी सोनू राज, किसन बरिहा, क्षीरसागर पटेल, गंगू ठाकुर, हेमसागर पटेल, परसराम धृतलहरे, नरेन्द्र कौशिक, भीमदेव जांगड़े सहित सतनामी समाज के महिला-पुरूष और बच्चे बड़ी संख्या में उपस्थित थे।