इरडा को जीवन बीमा पॉलिसी बेचने वाले एजेंट की भूमिका की पड़ताल
एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की अपील पर डॉ. एसएम कांटीकर और सदस्य बिनॉय कुमार की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि इससे बीमित व्यक्ति को अनावश्यक मानसिक पीड़ा और खर्च से बचाने में काफी मदद मिलेगी। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने इरडा को जीवन बीमा पॉलिसी बेचने वाले एजेंट की भूमिका की पड़ताल करने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा, वह नए निर्देश जारी करने के साथ प्रस्ताव प्रपत्रों को संशोधित करे ताकि ग्राहकों के ध्यान में स्पष्ट रूप से लाया जा सके कि चिकित्सा शर्तों का खुलासा न करने से बीमा क्लेम अस्वीकार हो जाएगा।एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की अपील पर डॉ. एसएम कांटीकर और सदस्य बिनॉय कुमार की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि इससे बीमित व्यक्ति को अनावश्यक मानसिक पीड़ा और खर्च से बचाने में काफी मदद मिलेगी। इस अपील में जयपुर स्थित राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उपभोक्ता के पक्ष में फैसला सुनाया गया था। शीर्ष उपभोक्ता आयोग ने कहा कि इस मामले में प्रस्ताव प्रपत्र में तथ्यों को छिपाने से शिकायत करने वाले बीमित व्यक्ति का मामला खराब हुआ है। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने इरडा को जीवन बीमा पॉलिसी बेचने वाले एजेंट की भूमिका की पड़ताल करने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा, वह नए निर्देश जारी करने के साथ प्रस्ताव प्रपत्रों को संशोधित करे ताकि ग्राहकों के ध्यान में स्पष्ट रूप से लाया जा सके कि चिकित्सा शर्तों का खुलासा न करने से बीमा क्लेम अस्वीकार हो जाएगा।एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की अपील पर डॉ. एसएम कांटीकर और सदस्य बिनॉय कुमार की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि इससे बीमित व्यक्ति को अनावश्यक मानसिक पीड़ा और खर्च से बचाने में काफी मदद मिलेगी। इस अपील में जयपुर स्थित राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उपभोक्ता के पक्ष में फैसला सुनाया गया था। शीर्ष उपभोक्ता आयोग ने कहा कि इस मामले में प्रस्ताव प्रपत्र में तथ्यों को छिपाने से शिकायत करने वाले बीमित व्यक्ति का मामला खराब हुआ है।
शिकायतकर्ता ने अपने आरोप में कहा कि बीमा कंपनी के एजेंट ने उसका प्रस्ताव फॉर्म भरते समय उसे पूरी तरह गुमराह किया। इसके साथ ही उसने उसे भरोसे में लेकर पूरा फॉर्म भरे बिना ही खाली स्थान पर हस्ताक्षर करा लिए थे।
बीमा कंपनी की दलीलबीमा कंपनी ने दलील में कहा था कि संबंधित व्यक्ति (मृतक) ने अपनी बीमारियों के बारे में जानकारी छिपाकर जीवन बीमा पॉलिसी प्राप्त की। वह बीमारियों से 2008 से पीड़ित था।
प्रतिवादी/शिकायतकर्ता के वकील ने कहा, बीमा कंपनी साबित करने में विफल रही कि बीमारियों ने बीमित व्यक्ति की मृत्यु में भूमिका निभाई। इसलिए क्लेम अस्वीकार करने का कोई आधार नहीं था।
एजेंट की जिम्मेदारियों पर नए निर्देश जारी करने की सलाह
एनसीडीआरसी ने अपील को अनुमति देते हुए राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के आदेश को रद्द कर दिया। साथ ही भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) को सलाह दिया कि वह जीवन बीमा पॉलिसी करते वक्त एजेंट के आचरण व जिम्मेदारियों पर नए दिशा-निर्देश जारी करे।
निर्देश में इसका जिक्र हो कि एजेंट प्रस्ताव फॉर्म भरते वक्त ग्राहक को सभी बीमारियों के खुलासे के लिए कहें। यह बताएं कि बीमारियों का खुलासा नहीं करने की स्थिति में उसके क्या परिणाम होंगे? प्रस्ताव फॉर्म को भी इसके उपयुक्त रूप से संशोधित किया जा सकता है।