सरकारी नौकरियों का दावा फैल, बेरोजगारी के सवालों में भूपेश का उलझाने का खेल – मोनिका साहू
बागबाहरा। बेरोजगारी के सवालों को छत्तीसगढ़ सरकार आंकड़ो की बहस पर उलझा कर कमजोर करना चाह रही है। भाजपा नेत्री जिला उपाध्यक्ष मोनिका साहू ने मौजूदा छत्तीसगढ़ सरकार से सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि उसने सेन्टर फ़ॉर मोनिटरिंग इंडियन इकॉनमी ( सी एम आइ ई) को अपना हथियार बना रखा है। जबकि अर्थशास्त्री व रविशंकर विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर जेएल भारद्वाज के अनुसार बेरोजगारी की रिपोर्ट सैंपल सर्वे के आधार पर तैयार की जाती है। संस्थान हर महीने अलग अलग सेक्टर के 15 से 20 फीसदी लोगों के बीच सर्वे कर अपनी रिपोर्ट जारी कर देती है। इन आंकड़ों को मौजूदा छत्तीसगढ़ सरकार अपने हिसाब से व्याख्या कर प्रदेश की बेरोजगारी दर देश मे सबसे कम 0.6 प्रतिशत थी। भूपेश सरकार पिछले साढ़े तीन साल में सरकारी और निजी क्षेत्र में करीब पांच लाख लोगों को रोजगार देने का दावा कर रही है, इसके बावजूद छत्तीसगढ़ राज्य में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 18 लाख है। आंकड़ों की बाजीगरी के आधार पर प्रदेश के पूर्व सीएम डॉ रमनसिंह का कहना कितना सटीक है कि छत्तीसगढ़ के बेरोजगारों को ठगा जा रहा है।पांच लाख नौकरी की लिस्ट देख कर उन्होंने प्रदेश सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है मगर यह दावे झुटे हैं,यह दावा किताबी है। भाजपानेत्री मोनिका ने आगे कहा कि प्रदेश सरकार का बेरोजगारी पर आंकड़ा सिर्फ विज्ञापन में है। विधानसभा में आंकड़ा कुछ और है और विज्ञापन का कुछ और है। इन्होंने विज्ञापन में 3 साल में पांच लाख नौकरियां दे रखी हैं, लेकिन जैसा सर्वे कहता है धरातल में कुछ और है और केवल 16 हज़ार लोगों को नौकरी मिली है, बेरोजगारी भत्ता नही मिल रहा है। आज लाखों लोग नियमतीकरण को लेकर हड़ताल कर रहे है। रोजगार सहायकों ने नियमतिकरण को लेकर 400 किलोमीटर लंबी एक दांडी यात्रा जिसे तिरंगा यात्रा का नाम दिया गया था बावजूद इस ढीठ सरकार ने उनके नियमतिकरण का अपने घोषणा पत्र का वादा पूरा नही किया। बेरोजगारी के ये आंकडा पूरी तरह से युवाओं को मुंह चिढ़ाने वाला है। मोनिका साहू ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए उसके दावों को फ़र्ज़ी बताते हुए कहा कि जैसा सर्वे कहता है प्रदेश में बेरोजगारी दर बहुत अधिक है, हर पांच में एक व्यक्ति के पास नौकरी नही है।