महासमुंद टाइम्स

ये महासमुंद है साहब…यहां दबंगों का राज चलता है

कौन सुनने वाला है अनुसूचित जाति के लोगों की पीड़ा

महासमुंद। महासमुंद जिले के सांकरा थाना क्षेत्र के ग्राम लोहरकुट के कुछ दबंगों ने पांच गरीब परिवार के लोगों के आशियाने को सारे नियम कायदे कानून को तांक में रख कर निस्तेनाबुत कर दिया है। दुर्भाग्य इस बात का है कि दबंगों के हाई कोर्ट के आदेश को भी नहीं माना, और इनके सारे कारनामों को देखते हुए भी कानून के नुमाइंदे आंखें मूंद लिया है। न्याय की आश में गरीब मजदूर परिवार न्याय की गुहार लगाते जिला कलेक्टर के कार्यालय पहुंच कर न्याय की मांग की है।

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महासमुंद जिले में सरकारी जमीन को फर्जी तरीकों से खरीद फरोक्त के कई मामले सामने आए है। बावजूद इसके प्रशासन ने रसूखदारों पर कोई कार्रवाई नहीं कर पाई है। वही सांकरा थाने के ग्राम लोहरकुट के इन गरीब परिवारों को शासन प्रशासन के आंख के सामने कुछ दबंगों ने सारे नियमों को पैरों तले रौंदते हुए इस भीषण गर्मी में तोड़ फोड़ कर नष्ट कर दिया है। इतने से भी मन नहीं भरा तो दबंगों ने इन गरीब परिवारों के घर में रखे सामानों को आग के हवाले कर दिया है। लिहाजा इन गरीब परिवार के महिला पुरुषों और बच्चों के पास ना पहनने को कपड़े भी नहीं बचें है।

गौरतलब है कि 27 अप्रैल को सुबह 9 बजे शिशुपाल पटेल, महेंद्र राणा, बाल मोतीन पटेल उप सरपंच, वीरेंद्र पटेल (उप सरपंच पति), ओम प्रकाश पटेल, लोकनाथ खूंटें ने ग्राम के सौ डेढ़ सौ गांव के लोगों को लेकर शोभाराम खुंटे, अघनमोती महिलांगे, मायालाल शिकारी,सेवक राम शिकारी और सीता देवी के घर पहुंचे और घर को चारों ओर से घेर कर तोड़ फोड़ शुरू कर दी। ग्रामीणों की भीड़ देख सभी महिलाएं अपने बच्चों को लेकर घर से जान बचा कर भागे, और इधर ग्रामीणों की भीड़ जो दबंगों के साथ पहुंची थे ने गरीब अनुसूचित जाति के लोगों के आशियाने को तहस नहस कर दिया। इतने से भी इनका मन नहीं भरा दो घरों में रखे सामानों को आग के हवाले कर दिया है। जिले मजदूर गरीब अनुसूचित जाति के लोगों का घर तोड़ फोड़ कर नष्ट कर दिया गया उनके द्वारा पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन के अधिकारियों को मदद करिए गुहार लगाई गई लेकिन इन गरीबों मदद करने कोई नहीं पहुंचा। इन गरीबों के सब कुछ तब होने के बाद पुलिस ने खाना पूर्ति करते हुए मात्र 436 का मामला दर्ज किया है। पिछले 24 घंटे से न्याय की आश लिए लोहरकोट के मजदूर अनुसूचित जाति के पांच परिवार न्याय की आश में दर बदर भटक रहे हैं।

गौरतलब है कि पिछले 25_30 सालों से सांकरा थाना क्षेत्र में निवासरत शोभाराम कोट पिता फिरन लाल, अघन मोती पति मनीराम महिलांगे, माया लाल शिकारी पिता मेला राम शिकारी, सेवक राम शिकारी पिता मेल रामसेकरी और सीता देवी पति बालक राम सरकारी जमीन पर पिछले 25_30 साल से निवासरत हैं। इन गरीब अनुसूचित जाति के मजदूरों द्वारा मजदूरी कर रोजी रोटी कमाते हुए यहां निवास कर रहे हैं। इस जमीन पर गांव के ही कुछ रासुकदार लोगों की नजर जमीन हुई है। पीड़ितों ने बताया है कि ग्राम के उपसरपंच सहित कुछ दबंगों ने मिलकर ग्राम सभा में एक प्रस्ताव पारित कर इन्हें गैरकानूनी तरीके से बेदखल करने का आदेश कर दिया था। इस बेदखली आदेश के लिए इन गरीब मजदूर परिवारों ने हाई कोर्ट की शरण ली थी। हाई कोर्ट ने भी इन्हें बेदखल किए गए जमीन से न हटाने का आदेश भी कर दिया था। बावजूद इसके लोहारकोट के कुछ लोगों द्वारा गांव के ग्रामीणों को भड़का कर हाईकोर्ट के आदेश को भी दरकिनार कर इन गरीब मजदूर पर परिवारों के घरों को बुरी तरीके से तबाह कर दिया है। आज लगभग 3:30 बजे के करीब सभी ग्रामीण कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचे थे। कलेक्टर निलेश क्षीरसागर की अनुपस्थिति में अपर कलेक्टर दुर्गेश वर्मा को इन्होंने अपनी आप बीती बताई है। अनुसूचित जाति के इन गरीबों परिवारों की आप बीती सुनकर अपर कलेक्टर दुर्गेश वर्मा ने अपने मातहत- कर्मचारियों को निर्देशित करते हुए कहा है कि अभी वर्तमान में जिन परिवारों का घर टूट गया है उन्हें किसी सामुदायिक भवन में पनाह देकर उनके मुआवजे का प्रकरण तैयार किया जाए।

पीड़ितों ने महासमुंद टाइम्स को जानकारी देते हुए बताया है कि उनके पास ना आब खाना बनाने के लिए बर्तन बचे हैं और ना ही पहनने ओढ़ने और सोने बिछाने के लिए कोई कपड़ा बचा हुआ है। इस हालत में वह किस तरीके से रहेंगे। अनुसूचित जाति के इन गरीब परिवारों के लिए कठिन सवाल है।

दुर्भाग्य इस बात का है कि अनुसूचित जाति के जिन लोगों के घरों को कुछ दबंगों द्वारा तोड़-फोड़ कर निस्तेनाबूत कर दिया है। उनकी गिरफ्तारी अब तक नहीं हो पाई है। इन गरीब परिवारों के साथ घटित घटना को देखकर और जिस तरीके से पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन ने आंखें बंद कर ली है उसे देखकर तो यही लगता है कि महासमुंद में कानून का राज नहीं जंगल का कानून चलता है।

Ravindra Vidani

सम्पादक रविन्द्र विदानी 7587293387, 9644806708

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