जुझारू के मैदान में उतरने से प्रदेश भर में हुआ आंगनबाड़ी बंद
डेढ़ लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका उतरे मैदान में
महासमुंद। पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश की डेढ़ लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं अपने 6 सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चली गई हैं। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं के अनिश्चित कालीन हड़ताल पर चले जाने से पूरे प्रदेश भर के आंगनबाड़ी में ताले लग गए हैं। 23 जनवरी से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का हड़ताल शुरू हुआ था। 5 दिन के महापड़ाव के बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ के संयुक्त मंच से जुझारू आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका कल्याण संघ अलग हो गई थी। लेकिन सरकार के किसी तरह से आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं के पक्ष में फैसला नहीं आने से निराश और क्षुब्ध समस्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला ले लिया है।
गौरतलब है कि महासमुंद शहर के स्थानी पटवारी कार्यालय के सामने पूरे जिले भर की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं ने छत्तीसगढ़ राज्य सरकार के खिलाफ अपनी 6 सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गई हैं। पटवारी कार्यालय धरना स्थल पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भीड़ इतनी है की जगह कम पड़ रही है। पूरे प्रदेश में यह पहला बार है जब संयुक्त मंच के बैनर तले पूरे प्रदेश की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एक मंच पर उतरी है। छत्तीसगढ़ जुझारू आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ के हड़ताल में समर्थन के बाद से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और मजबूत हो गई हैं। छत्तीसगढ़ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ ने छत्तीसगढ़ राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि 4 साल बीत जाने के बाद भी छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा किए गए घोषणा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को छत्तीसगढ़ प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद कलेक्टर दर देने का वादा किया था। लेकिन अब तक यह वादा राज्य सरकार ने पूरा नहीं किया, जिस बात से नाराज आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सहायिकाओं ने राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया है।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं के आंदोलन पर चले जाने से आंगनवाड़ी में ताले लगे हुए हैं। जिस वजह से आंगनबाड़ी में पहुंचने वाले बच्चे और एनीमिक महिलाओं को उनका आहार नहीं मिल पा रहा है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने यह फैसला लिया है कि सरकार अब जब तक उनकी मांगे नहीं मानेगी, तब तक वह अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठेंगे। सरकार के ढुलमुल रवैया को अब प्रदेशभर की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका बर्दाश्त नहीं करेंगी और सरकार से अपना हक लेकर रहेंगी।