कांग्रेस-भाजपा आपस में खेल रहे हैं नूरा कुश्ती-भूपेन्द्र चन्द्राकर
महासमुन्द-आम आदमी पार्टी महासमुन्द जिला के कार्यकर्ताओं ने बढ़ती महंगाई के खिलाफ आज पेट्रोल पम्पो, गैस एजेंसी व किराना की दुकानो के सामने तख्ती पकड़ के लॉक डाउन का पालन करते हुए विरोध प्रदर्शन किया और लोगों से महंगाई के मुद्दे पर बात रखी जहां लोंगो ने मुखर होकर विरोध दर्ज कराया। अगर छत्तीसगढ़ सरकार व केंद्र सरकार महंगाई कम करने को लेकर ठोस नीति नहीं बनाती हैं तो पूरे प्रदेश में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता हल्ला बोल करेंगे। जिलाध्यक्ष भूपेन्द्र चन्द्राकर ने कहा केंद्र की मोदी सरकार व प्रदेश की भूपेश सरकार की महंगाई के खिलाफ उचित नीति नहीं बनाने के कारण प्रदेश की जनता महंगाई से भारी त्रस्त है. केंद्र में जब से मोदी सरकार ने देश की बागडोर सम्हाली है तब से डीज़ल-पेट्रोल, रसोई गैस से लेकर दैनिक जीवन की किराना सामानों की कीमतें नित नए आयाम स्थापित करती चली जा रही हैं, महँगाई मानो थमने का नाम ही नहीं ले रही है यहाँ तक की हर छोटे, मझोले परिवार को प्रभावित करने वाली जरूरी चीजें सहित दवाइयों की कीमत भी मोदी सरकार के 2014 से केन्द्र में स्थापित होने के बाद से आसमान छूने लगी है. रोजमर्रा की सामान्य दवाइयों में भी सौ से दो सौ प्रतिशत की वृद्धि हो गई है. किराना आदि खाद्य सामग्रियों की कीमत तो 2014 के बाद से जैसे रुकने का नाम ही नहीं ले रही है. आमजन को ठीक से भोजन के लिए सोचना पड़ रहा है देश की 80 फीसदी आबादी की क़मर महँगाई से टूट चुकी है लोग हलाकान-परेशान हैं कि अपने और परिवार का भरण पोषण करें तो करें कैसे?
केन्द्र में जब से मोदी सरकार आई है 2014 के बाद का ही आकलन करें तो डीज़ल-पेट्रोल की कीमत में लगभग 100 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है, 2014 में पेट्रोल 58 रु लीटर थी जो अभी 93 से 100 की हो चुकी है. डीज़ल 2014 में 48 की थी 2021 में 88 रुपए की हो गई है रसोई गैस 2014 में 510 रुपए प्रति सिलेंडर थी, जो अभी 2021 में ठीक दोगुनी 880 रुपए की हो गई है. इसके बाद भी केन्द्र की मोदी सरकार बड़ी बेशर्मी के साथ इसे अपने 7 साल की उपलब्धि गिना रही है। किराना खाद्य सामग्रियों के क़ीमतों में आग लग चुकी हैं. सरसों तेल जो 2014 में 80 से 90रुपए लीटर थी अभी 2021 मे 180 रुपए, अरहर दाल 2014 में 65-74रुपए किलो थी जो अभी 2021 में 130 से 150रुपए की हो गई है, चना दाल 14 में 46 रुपए थी जो अब 100 की हो गई है उड़द और मूंगदाल तो सामान्य और निम्न मध्यम वर्ग की पहुँच से दूर हो चुकी है, ऊपर से कोरोना महामारी की मार जिसमें लॉकडाउन के कारण मेहनत कर रोज कमाने खाने वालों के खाने का स्वाद बिगड़ चुकी है लोग महंगाई के कारण अपनी दैनिक जीवन की वस्तुओं को नहीं खरीद पा रहे हैं.