थाने में अफसरी से तंग मुंशी ने लगाई फांसी?
बिलासपुर. तानशाह अफसरी और बेवजह काम का बोझ लादने से परेशान होकर एक हवलदार का फांसी लगाकर आत्महत्या करने की बड़ी खबर सामने आ रही है। इस घटना के बाद एक ट्रेनी पुलिस अफसर पर उसकी मौत का जिम्मेदार होने के आरोप लगने की चर्चा विभाग में चल रही है।
मिल रही जानकारी के अनुसार सरकंडा थाना के प्रधान आरक्षक लखन मेश्राम (53) वर्ष ने बीती रातकरीब तीन बजे अपने मोपका स्थित घर के पीछे नीम के पेड़ पर फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली, मृतक थाने के माल खाने का मुंशी था जो पिछले करीब पांच महीने से माल खाने का कामकाज देख रहा था।
इस दुखद घटना की खबर लगते ही लखन मेश्राम को करीब से जानने वाले और खासकर पुलिस कर्मी काफी स्तब्ध है।
अफसरी पर उठ रही उंगली.
खुले तौर पर नही मगर दबी जुबान से चर्चा चल रही है कि मृतक प्रधान आरक्षक लखन मेश्राम के सुसाइड की वजह सरकंडा थाने की अफसरी है। सीखने सिखाने के चक्कर मे बिगड़ी जिले की पुलिसिंग में ट्रेनी अफसर पर तानाशाही का आरोप जोरो पर है। मृतक प्रधान आरक्षक लखन मेश्राम विभाग में काफी शांत और सरल स्वभाव का माना जाता था। बताया जा रहा है कि ट्रेनी पुलिस अफसर ने उसे थाने में जप्त सामान कोर्ट मे जमा करने के लिए ऐसा दबाव बनाया की मृतक प्रधान आरक्षक मेश्राम काफी तनाव में आ गया था। चूंकि उसे थाने का मालखाना संभाले पांच महीने ही हुए थे इसलिए उनसे तत्काल सामान दे पाने में असमर्थता जताई थी आरोप के साथ चर्चा है कि ट्रेनी पुलिस अफसर ने तानाशाह रवैया अपनाया और फोन पर तत्काल थाने आकर सामान देने धमकाया चमकाया और कहा थाने आओ और जब तक सामान नही दोगे थाने से जाने नही दूंगा,इधर इतना सुनने के बाद मृतक प्रधान आरक्षक मेश्राम से भी न रहा गया और उसने साफ इंकार कर दिया।
आरक्षक से लगवाया फोन.
चर्चा है कि ट्रेनी पुलिस अफसर की बात कटी तो उन्होंने थाने के दूसरे आरक्षक को हुकुम जारी कर प्रधान आरक्षक लखन मेश्राम को बुलवाने को कहा तो तकरीबन 9 बजे मृतक अपना फोन ऑफ कर चुका था और थोड़ी के बाद अपने घर से निकल गया, देर रात जब वह घर नही लौटा तो उसके परिजन खोजते हुए थाने पहुच गए तब पता चला कि वह थाने आया ही नही है वही कुछ देर की खोजबीन के बाद घर के पीछे नीम के पेड़ पर लटकती मिली।