कानून
डॉ किरणमयी नायक ने किशनपुर हत्याकांण्ड मामले में दिए 2 माह के भीतर जांच के निर्देश
आज की सुनवाई में किशनपुर उपस्वास्थ्य केन्द्र में 31 मई 2018 को घटित विभत्स हत्याकांड मामले पर जिसमें पूरा परिवार पति-पत्नि एवं उनके दोनो बच्चों की निर्मम हत्या हुई थी। इस पर राज्य महिला आयोग द्वारा पूर्व आदेश के आधार पर पुलिस विभाग द्वारा सत्र न्यायालय महासमुन्द से अनुमति मांगी गई थी, जिसमें फोरेंसिक एक्स्पर्ट डाॅ. सुनन्दा ढेंगे एवं अधिवक्ता सुश्री समीम रहमान को घटना स्थल की जांच एवं अन्वेषण के लिये आयोग द्वारा अनुमति प्रदान करने को कहा गया था। जिसमे जांच अन्वेषण की अनुमति न्यायालय द्वारा 20 जुलाई 2021 को प्रदाय की गई है। जिसमें आवेदिका पक्ष ने शिकायत किया है कि कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे व साक्ष्य पुलिस द्वारा पूरी तरह से जांच नहीं की गई है ऐसी आशंका प्रतीत है। इस संपूर्ण मामले की जांच की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए फोरेंसिक एक्स्पर्ट डाॅ. ढेेंगें एवं अधिवक्ता सुश्री रहमान को 2 माह का समय आयोग द्वारा दिया गया है। इस जांच में उनके सहयोग के लिए थाना प्रभारी पिथौरा को अधिकृत किया गया है। जिसमें वें फोरेंसिक एक्सपर्ट डाॅ. ढेंगें के साथ सम्र्पूण जांच प्रक्रिया में सहायोग करेंगे। इस प्रकरण की निगरानी राज्य महिला आयोग की सदस्य श्रीमती अनिता रावटे करेंगी। अन्य प्रकरण में उपस्थित मानसिक प्रताड़ना के मामले में आवेदिका की शिकायत पर थाना महासमुनद में 429/20 प्रकरण दर्ज किया जा चुका है। आयोग के अधिनियम के अनुसार यह प्रकरण आयोग के अधिकार क्षेत्र से बाहर होने के कारण प्रकरण को नस्तिबद्ध किया गया। एक प्रकरण में आपसी घरेलु विवाद का मामला था, इस प्रकरण पर पुलिस द्वारा प्रतिबंधात्मक कार्यवाही किया जा चुका है। जिसके कारण यह प्रकरण को नस्तिबद्ध किया गया। एक अन्य प्रकरण में आवेदिका तथा अनावेदक के परिजन उपस्थित थे। आवेदिका का कथन है कि मेरे द्वारा पुलिस थाना में मामला दर्ज कराया गया जिसमें एफ.आई.आर के बाद पुलिस अनावेदक के खिलाफ कार्यवाही कर रही है। आयोग के निर्देश के बाद कार्यवाही पूर्ण कर चालान अदालत में प्रस्तुत कर दिया गया है आवेदिका पक्ष को आयोग द्वारा समझाईश दिया गया है कि वह बसना न्यायालय में निःशुुल्क विधिक सहायता के वकील अभियोजन पक्ष की सहायता के लिये नियुक्त कराने तथा न्यायिक प्रक्रिया में भी उन्हे मदद मिल सके। इस प्रकार इस प्रकरण को नस्तिबद्ध किया गया। अन्य प्रकरण में आवेदिका ने आयोग के द्वारा पिछली सुनवाई में आपसी समझौतानामा की शर्तो के अनुसार एक मुश्त राशि लेने से इन्कार किया और कहा की वह आवेदक के विरूद्ध आपराधिक मामला न्यायालय में दर्ज कराना चाहती है। इस प्रकार यह प्रकण नस्तिबद्ध कर दिया गया। एक प्रकरण में आवेदिका ने अपना प्रकरण वापस लेना चाहा और कहा की वह अदालत में तलाक लेना चाहती है। इस प्रकार यह प्रकण नस्तिबद्ध कर दिया गया। एक अन्य प्रकरण में उभयपक्ष उपस्थित दोनो पक्षों के बीच समझौतानामा के लिये समय की मांग की गई। जिस पर आयोग ने छः माह का समय दिया है इसके अलावा उनकी निगरानी के लिये स्थानिय जनप्रतिनिधि को नियुक्त किया गया है। यह प्रकरण भरणपोषण से संबधित है। आयोग द्वारा अनावेदक को समझााईस दिया जिसपर अनावेदक ने आवेदिका को 2500 प्रतिमाह देने का तैयार हुआ। अनावेदक ने तत्काल आयोग के समक्ष आवेदिका को 1000 नकद दिया। शेष 1500 भरणपोषण राशि देने महासमुन्द आयेगा व अपने बच्चे से मिलेगा। एक अन्य प्रकरण में आयोग द्वारा दोनो पक्षों को समझाइस दिया गया जिसमें उभयपक्षो ने एक वर्ष के बच्चे को ध्यान में रखते हुये आपसी समझौते हेतु राजी हुए अनावेदक सरपंच है जिसके कारण वह अपने पास के एक गांव में किराये के मकान लेकर आवेदिका के साथ रहेगा साथ ही पत्नी और बच्चों को प्यार से रखेगा और किसी भी प्रकार की मारपीट नहीं करेगा। इस प्रकरण को तीन माह के निगरानी हेतु जिला पंचायत अध्यक्ष को आयोग द्वारा समन्वयक नियुक्त किया गया है। किसी भी प्रकार के विवाद में समन्वयक का निर्णण अतिंम होगा।आज की सुनवाई के अवसर पर संयुक्त कलेक्टर सुनील कुमार चंन्द्रवंशी, अतिरिक्त पुलिस अधिक्षक मेंघा टेंम्बुलकर, महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी समीर पाण्डेय सहित अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे।