मणिपुर पुलिस के साथ अर्धनग्न अवस्था में पत्नी को रंगे हाथों पकड़े का पति ने किया दावा
पुलिस पर मामला दबाने का आरोप, उच्चाधिकारियों ने की न्याय की मांग

अंबिकापुर। एक महिला अधिकारी के सरकारी आवास में मणिपुर थाना प्रभारी उपनिरीक्षक अखिलेश सिंह की संदिग्ध उपस्थिति को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है। महिला के पति ने इस संबंध में कई गंभीर आरोप लगाते हुए थाना प्रभारी समेत अन्य पुलिसकर्मियों पर मामले को दबाने का प्रयास करने की बात कही है।
पीड़ित पति का कहना है कि जब वे अपनी पत्नी के सरकारी आवास पहुंचे, तो वहाँ एक निजी कार (CG 04 MA 9996) खड़ी दिखी, जो मणिपुर थाना प्रभारी अखिलेश सिंह की बताई जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि दरवाजा अंदर से बंद था और उन्होंने देखा कि अखिलेश सिंह अंदर प्रवेश कर चुके हैं। बार-बार दरवाजा खटखटाने पर भी कोई जवाब नहीं मिला।
इसके बाद उन्होंने 112 पर कॉल कर पुलिस को सूचना दी। गांधी नगर थाना प्रभारी गौरव पांडेय मौके पर पहुंचे, पर दरवाजा खुलवाने की कोशिश बेअसर रही। इसके बाद कोतवाली थाना प्रभारी मनीष सिंह परिहार भी मौके पर पहुंचे। पति का आरोप है कि उन्हें बातों में उलझाकर रखा गया और इसी बीच महिला अधिकारी और अखिलेश सिंह को आवास से बाहर निकलने का मौका दे दिया गया।
इतना ही नहीं, जब पति ने मौके पर खड़ी कार को जब्त करने की मांग की तो एक आरक्षक ने वाहन को वहां से हटा दिया। बाद में जब शिकायत दर्ज कराने गांधी नगर थाना पहुंचे, तो कोतवाली प्रभारी मनीष सिंह परिहार ने कथित रूप से यह कहकर टाल दिया कि “कौन अखिलेश सिंह? कौन-सी गाड़ी? जाओ कोर्ट में मुकदमा करो।”
पीड़ित ने मणिपुर थाना प्रभारी अखिलेश सिंह के विरुद्ध थाना गांधीनगर में शिकायत दर्ज कर निष्पक्ष जांच की मांग की है। वहीं थाना प्रभारी गांधीनगर ने धारा 155 के तहत फ़ैना काट न्यायालय जाने की सलाह दी गई।
इस पूरे मामले पर पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार अग्रवाल ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है, “मामला संज्ञान में लिया गया है। जांच के बाद कार्यवाही जाएगी” यह घटना ना सिर्फ पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि जब उच्च पदों पर बैठे अधिकारी ही मनमानी करने लगें तो आम नागरिक न्याय की अपेक्षा किससे करे।