बसना नगर पंचायत का जिन्न निकला बाहर, निर्वाचन अधिकारी से शिकायत

महासमुंद। कांग्रेस पार्टी के नेता अंकित बागबाहरा ने जिला निर्वाचन अधिकारी के नाम से लिखित में शिकायत सह प्रमाण पेन ड्राइव सौप कर बसना नगर पंचायत के अध्यक्ष पद के निर्वाचन की घोषणा रोके जाने व एफ आई आर कराने की मांग की है। अंकित ने बताया कि नगर पंचायत बसना के चुनाव में अध्यक्ष पद के निर्वाचन हेतु चार लोगों ने नामंकन दाखिल किया था, परंतु स्क्रूटनी पश्चात नाम वापसी की अंतिम तारीख को 3 प्रत्याशियों ने अचानक नाम वापस ले लिया ( ऐसा बताया जा रहा है ) और भाजपा प्रत्याशी डॉ खुशबू अग्रवाल ही एकमात्र प्रत्याशी बची ।।
इसी परिपेक्ष्य में मेरे द्वारा निर्वाचन अधिकारी बसना नगर पंचायत से दिनांक 1/2/25 को पत्र लिख बसना निर्वाचन में लोकतंत्र की हत्या की जांच करवाने बावत व सीसीटीवी फुटेज व कॉल रिकॉर्ड्स की लिखित में मांग की गयी थी । परंतु आज दिनांक तक किसी भी प्रकार का पत्राचार उनके द्वारा नही किया गया व एक बार बात करने पर कार्यालय समय पर ही जवाब दे पाऊंगा कहा गया पश्चात कभी फोन नही उठाया गया। इसी बीच एक नाटकीय घटना क्रम में एक बड़ी बात सामने आई कि एक यु ट्यूब चैनल के पत्रकार द्वारा लगभग 4 से 5 दिन पूर्व लगभग 32 मिनट के अपने वीडियो में इसकी पूरी स्टोरी बताई और उसमें बताया गया कि कैसे आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी रही श्रीमती अमरीन गिनानी के पति इरफान गिनानी (इल्लु ) वार्ड 14 के पार्षद प्रत्याशी ने बताया कि कैसे भाजपा प्रत्याशी के ससुर डॉ एन के अग्रवाल ने उन्हें व उनकी पत्नी को अध्यक्ष पद से नाम वापस लेने उपाध्यक्ष बनाने का लालच दिया और उनके लिए दो वार्ड क्रमशः 14 व 15 को निर्विरोध करवाने साजिश भी रची । उसमें कई नामों जैसे साजिद चमड़िया पदमपुर उड़ीसा निवासी , डॉ एन के अग्रवाल निवासी बसना, जौहरी कांग्रेस की वार्ड 15 प्रत्याशी रहीं निवासी बसना, सुमित अग्रवाल बसना विधायक संपत अग्रवाल के पुत्र,वाधवा,जसवंत सिंह सलूजा, निवासी बसना सहित कई नामों का स्पष्ट उल्लेख है जिसमें बड़ी साजिश स्पष्ट दिख रही है, और लोकतंत्र की हत्या की गई व आम जन को उनके मताधिकार के प्रयोग से रोका गया स्पष्ट पता चल रहा है ।
ऐसे में निर्वाचन प्रक्रिया में लालच व डर के माध्यम से अन्य दावेदारों का नाम वापस करवाया जाना स्पष्ट हो रहा है, और भ्रष्टाचार कर चुनाव को प्रभावित किया गया है स्पष्ट हो रहा है । ऐसे में अंकित ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में या स्थानीय निर्वाचन के नियमों के तहत अनुचित प्रभाव: यदि किसी उम्मीदवार को डराकर या लालच देकर चुनाव से हटने के लिए मजबूर किया जाता है, तो यह भ्रष्ट आचरण माना जाता है साथ ही इसी में एफ आई आर का भी प्रावधान है ।
अतः अंकित बागबाहरा ने मांग की है कि अध्यक्ष पद के निर्णय को रोका जाएअपराध भी दर्ज करवाया जाये व पुनः बसना नगर पंचायत के अध्यक्ष पद का चुनाव करवाया जाए ताकि लोकतंत्र जीवित रह सके और उसकी आत्मा की पवित्रता बनी रह सके ।
इस मे सबूत स्वरूप उस 32 मिनट के वीडियो की पेन ड्राइव भी सौंपी है व दिनांक 1 फरवरी को एस डी एम बसना को सौंपे पत्र की छाया प्रति भी दी है । अंत मे अंकित ने बताया कि यदि शासन के दबाव में इस पर नियमानुसार कार्यवाही नही होती है तो वो सम्माननीय न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाने से नही चूकेंगे ।।