करणी कृपा पावर प्लांट ने तैयार होने से पहले ही दिखाया अपना रंग
स्थानीय मजदूरों को दी जा रही कम मजदूरी को लेकर मजदूरों का फूटा गुस्सा
महासमुंद। महासमुंद जिले में बनने जा रहे सबसे विवादित पावर प्लांट करणी कृपा में आज सुबह पावर प्लांट में काम करने वाले स्थानीय मजदूरों ने करणी कृपा पवार प्लांट के आगे, मजदूरों को मिलने वाले रोजी में भारी अंतर को लेकर आंदोलन कर दिया था। मामले को जैसे तैसे कर शांत कराया गया।
गौरतलब है कि पिछले 425 दिनों से पावर प्लांट खोले जाने के विरोध में सिरपुर क्षेत्र के लगभग 60 गांव के ग्रामीण लगातार आंदोलनरत हैं। बावजूद इसके प्लांट तैयार हो रहा है। जिस अंदेशा को भांप कर ग्रामीण आंदोलन कर रहे हैं। आज उसकी शुरुआत करणी कृपा पावर प्लांट के मुख्य द्वार पर देखने को मिला है। हालांकि इस आंदोलन में सिरपुर क्षेत्र के 60 गांव के ग्रामीणों को स्थानीय जन प्रतिनिधियों का अब तक साथ नहीं मिल सका है। करणी कृपा पावर प्लांट के विरोध में छत्तीसगढ़ के मुख्य मंत्री से लेकर स्थानीय विधायक, सांसद तक ग्रामीणों ने फरियाद लगा ली है। जन प्रतिनिधियों के असहयोग के बावजूद भी ग्रामीणों ने हार नहीं मानी है और असहयोग आंदोलन पिछले 425 दिन से ग्रामीण चला रहे हैं।
ग्रामीण मजदूरों से प्राप्त जानकारी अनुसार करणी कृपा पावर प्लांट में सिरपुर, महासमुंद क्षेत्र के कई कुछ मजदूर मजदूरी का काम कर रहे हैं। वहीं इस पावर प्लांट में कुछ यूपी बिहार और अन्य प्रांत से आए मजदूर भी मजदूरी का काम कर रहे हैं। मजदूरी करने वाले मजदूरों में इस बात को लेकर आक्रोष फूंटा कि करणी कृपा पावर प्लांट के ठेकेदार द्वारा स्थानीय दहाड़ी मजदूरों को कम रोजी और अन्य प्रांत से आए मजदूरों को ज्यादा रोजी दी जा रही है। मजदूरों को दी जाने वाली रोजी में भारी अंतर के चलते आज मजदूरों ने प्लांट के आगे सुबह से समान रोजी देने की मांग को लेकर आंदोलन कर दिया था। लेकिन यह आंदोलन ज्यादा समय तक नहीं चल सका और पूंजी पतियों के आगे मजदूरों ने मौखिक आदेश पर ही आंदोलन को समाप्त कर दिया है।
मालूम हो कि श्रम विभाग ने श्रमायुक्त को 10 अप्रैल को पत्र लिखकर यह जानकारी उपलब्ध कराई थी कि करणी कृपा पावर प्लांट में अट्ठारह आदिवासी महिला पुरुष मजदूरी काम करते हैं, जिन्हें न्यूनतम वेतनमान अधिनियम 1948 के तहत भुगतान नहीं किया जा रहा है। श्रम निरीक्षक बीएल यादव करणी कृपा पावर प्लांट के डायरेक्टर को पत्र लिखकर यह कहा है कि न्यूनतम वेतनमान अधिनियम 1948 का पालन किया जाए साथी काम किए गए मजदूरों को नियमानुसार अंतर की राशि 2 लाख 24 हजार 640 रुपए का भुगतान करना भी सुनिश्चित करने की लिखित आदेश दिया था। बावजूद इसके करणी कृपा पावर प्लांट में काम करने वाले मजदूरों को उनकी हक की राशि नहीं दी जा रही थी। श्रम विभाग के पत्र के बावजूद भी करणी कृपा पावर प्लांट के डायरेक्टर ने श्रम नियम की अनदेखी कर दी है। जिसके विरोध में आज काम कर रहे पावर प्लांट में मजदूरों के गुस्से ने आंदोलन का रूप ले लिया था जिसे कंपनी के डायरेक्टर ने जैसे तैसे कर मामले को रफा-दफा कर दिया है
आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछले 425 दिन से सिरपुर क्षेत्र के लगभग 60 गांव के ग्रामीण किसान मजदूर संघ के बैनर तले करणी कृपा पावर प्लांट के विरोध में असहयोग आंदोलन चला रहे हैं। ग्रामीणों का विरोध इस बात को लेकर है कि पावर प्लांट के खुल जाने से क्षेत्र के किसानों की जमीन बंजर हो जाएगी साथ ही कारखाने से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों से ग्रामीणों के सेहत पर भी भारी नुकसान होगा। ग्रामीणों को इस बात का अंदेशा है कि जब पावर प्लांट खैरझिटी क्षेत्र में प्रारंभ होगा उस वक्त स्थानी मजदूरों को और यहां के पढ़े-लिखे नौजवानों को पावर प्लांट में किसी भी तरह की कोई सुविधा और ना ही नौकरी मिलेगी। इसका जीता जाता उदाहरण आज हमें देखने को भी मिला है। पावर प्लांट के निर्माण से पहले ही यहां के स्थानीय मजदूरों के साथ जिस तरीके से करणी कृपा पावर प्लांट के डायरेक्टर छल करते हुए नजर आ रहे हैं। इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि पावर प्लांट के बनने से पहले ही सारे नियम कायदे कानून को ताक पर रखकर पावर प्लांट का निर्माण कराया जा रहा है। जब यह पावर प्लांट बंन कर तैयार हो जाएगी तब यहां के स्थानीय मजदूर और बेरोजगारों को क्या करणी कृपा पावर प्लांट से नौकरियां, मजदूरी मिल सकेगी। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और यहां के शासन प्रशासन को इस बात को सोचना चाहिए कि स्थानीय मजदूरों और बेरोजगारों का प्लांट के खुलने के बाद क्या होने वाला है।