ना तो स्टाफ परमिट है और ना ही कई बसों का फिटनेस
रायपुर। जैसा कि मंगलवार रात्रि को दुर्ग जिले के कुम्हारी टोल के पास एक केडिया डिस्टिलरी स्टाफ बस का बहुत दुखद घटना हुआ है जिसमे 11 लोगो की मौत और करीब 7 लोग गंभीर रूप से घायल है और कई अन्य घायल है वैसे ही दुर्ग और रायपुर जिले में रहने वाले कई कंपनियों के स्टाफ अपनी जान जोखिम में रखकर कंपनी द्वारा दिलाई जाने वाली बसों में आना जाना करते है जिसका माप दंड सही है या नही उसकी जांच प्रशासन नही करता है ।
रायपुर शहर के एक बड़ी कंपनी निको स्टील प्लांट में कुछ ऐसा ही हो रहा जहा पर उनके स्टाफ को लाने ले जाने के लिए जिन बसों का उपयोग किया जा रहा है वो सारी बसे ना ही स्टाफ बस है और ना ही सुरक्षा की दृष्टि से सही है ये कंपनी अपने स्टाफ को लाने ले जाने के लिए दस से पंद्रह साल पुरानी स्कूल बस और अन्य बसों का उपयोग कर रही है जिसकी किसी भी प्रकार से कोई भी जांच प्रशासन नही कर रही है मोटर व्हीकल एक्ट के तहत स्टाफ बसों के चलाने के लिए और स्टाफ की सुरक्षा के लिए अलग अलग नियम कायदे है जिसको देखने वाला कोई नही है जिस कारण इतने बड़े प्रतिष्ठित कंपनी में किसी भी प्रकार की पुरानी बसों का इस्तेमाल किया जा रहा है जिसमे कई बसों में ना तो स्टाफ परमिट है और ना ही कई बसों का फिटनेस है ।कंपनी में चलने वाले बसों को शासन द्वारा स्टाफ परमिट ईशु किया जाता है जो की प्राइवेट सर्विस व्हीकल के नाम से रजिस्टर्ड होता है जिसका तिमाही टैक्स 450 से 600 तक प्रति सीट हर तिमाही में पटाया जाता है जिसको बचाने के लिए नीको इंडस्ट्रीज और रिलायंस ट्रेवल्स द्वारा शासन की टैक्स चोरी करते हुए अपने स्टाफ की जान को जोखिम में डालते हुए ऐसे स्कूल बसों में जो की 15 साल पुरानी है जो की परिवहन विभाग द्वारा कंडम मानी जाती है ऐसे बसों से नीकोकंपनी अपने कर्मचारियों को लाना ले जाना करती हैं।