स्वर्गीय शुक्ल की पुण्यतिथि पर, झिरमघाटी नक्सली हमले पर एक नजर

महासमुंद। आज स्वर्गीय पंडित विद्याचरण शुक्ल की पुण्यतिथि है, पूरे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के नेता सहित उनके समर्थक उनकी पुण्य तिथि मना रहे हैं। पंडित विद्याचरण शुक्ल की पुण्यतिथि पर देश की अब तक कि सबसे बड़ी नक्सली हमला जो झीरम घाटी में हुई थी। उस घटना में कांग्रेस पार्टी के सभी बड़े नेताओं की हत्या कर दी गई थी।
झीरम घाटी हत्याकांड 25 मई 2013 को छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के सुकमा क्षेत्र में हुआ था। यह भारत के इतिहास में सबसे बड़े नक्सली हमलों में से एक है, जिसमें नक्सलियों ने कांग्रेस पार्टी की परिवर्तन यात्रा के काफिले पर हमला किया। इस हमले में 32 लोगों की मौत हुई, जिनमें छत्तीसगढ़ कांग्रेस के कई शीर्ष नेता शामिल थे। हमला सुकमा जिले की झीरम घाटी में हुआ, जब कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा निकल रही थी। यह यात्रा 2013 के विधानसभा चुनावों की तैयारी के लिए थी।नक्सलियों ने काफिले पर घात लगाकर हमला किया। पहले एक वाहन को आईईडी विस्फोट से उड़ाया गया, फिर अंधाधुंध गोलीबारी की गई। हमले में करीब 300 नक्सली शामिल थे, जो आधुनिक हथियारों और बैलाडीला खदान से लूटी गई बारूद से लैस थे। इस हमले में कांग्रेस के दिग्गज नेता जैसे महेंद्र कर्मा (बस्तर टाइगर), नंदकुमार पटेल (तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष), उनके बेटे दिनेश पटेल, और उदय मुदलियार मारे गए।विद्याचरण शुक्ल, पूर्व केंद्रीय मंत्री, गंभीर रूप से घायल हुए और बाद में दिल्ली में इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। कुल 32 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर कांग्रेस के शीर्ष नेता और कार्यकर्ता थे।
नक्सलियों ने सुनियोजित तरीके से हमला किया। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने कांग्रेस नेताओं के नाम पूछकर उनकी हत्या की, जिसे “सुपारी किलिंग” के रूप में भी देखा गया। हमले में 150 से अधिक महिला नक्सलियों की भी भागीदारी थी।यह देश का दूसरा सबसे बड़ा नक्सली हमला माना जाता है। जांच और विवाद:शुरुआत में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने मामले की जांच की, लेकिन कई सवाल अनुत्तरित रहे। शिकायतकर्ता जितेंद्र मुदलियार ने आरोप लगाया कि एनआईए ने हत्याकांड के पीछे के षड्यंत्र की जांच नहीं की। 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए की अपील खारिज कर दी और जांच का जिम्मा छत्तीसगढ़ पुलिस को सौंपा।पूर्व नक्सली कमांडर प्रकाश ने खुलासा किया कि हमले की योजना में बड़े पैमाने पर नक्सली शामिल थे, और हिडमा को इसका मास्टरमाइंड बताया गया।
राजनीतिक प्रतिक्रिया:कांग्रेस ने इस हमले को “सुपारी किलिंग” करार दिया और इसे छत्तीसगढ़ में तत्कालीन बीजेपी सरकार की सुरक्षा चूक से जोड़ा। तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को “न्याय का रास्ता खोलने वाला” बताया। हर साल 25 मई को कांग्रेस “झीरम शहादत दिवस” के रूप में इस घटना को याद करती है। इस हमले ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को लगभग खत्म कर दिया, जिससे पार्टी को बड़ा झटका लगा।घटना ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था और राजनेताओं की सुरक्षा पर सवाल उठाए।