क्यों हुई मेढ़क-मेढ़की की शादी जानने के लिए पढ़े…
क्या है पूरा वाकया हम आपको बताते हैं। पिथौरा ब्लॉक के गोड़बाहरा ग्राम में किसान परेशान है। यहां पानी नहीं गिरने की वजह से किसानों के फसल अब नष्ट होने की कगार पर है। ग्राम के किसानों ने अपने पूरखो द्वारा किये गये काम को याद किया और इंद्रदेव को चिढ़ाने के लिए मेढक़-मेढक़ी की शादी का आयोजन किया है। गांव को दो पक्ष वर-वधु में बांटा गया। ग्राम के बस्ती पारा के ग्रामीण वर पक्ष के बने वहीं ग्राम के आमापारा के किसान वधु पक्ष के बने। शुक्रवार को एक मटकी के पात्र में मेढक़ और मेढक़ी को रखा गया। छत्तीसगढ़ की परम्परा अनुसार शुक्रवार को चुलमाट का कार्यक्रम हुआ, शनिवार को तेल-हल्दी का कार्यक्रम रखा गया। रविवार को मैन और बारात का कार्यक्रम रखा गया। रविवार को दुल्हे के रूप में सजे मेढक़ को एक मिट्टी के पात्र में बाराती, वधु पक्ष के यहां पहुंचे और रिती रिवाजों के साथ किसानों की उपस्थिती में शादी कराई गई। किसान अपने दुल्हे को बाजे गाजे के साथ वधु पक्ष के यहां नाचते गाते पहुंचे। जिनका पूरे रिती रिवाजों के साथ सारे संस्कार कराये गये। किसानों का कहना है कि पूराने समय में जब गांव में फसल के लिए अच्छी बारिश नहीं होती थी तो उनके पूर्वज इंद्रदेव को रिझाने के लिए मेढक़-और मेढक़ी की शादी कराते थे। किसानों के इस तरह के शादी करने से इंद्रदेव नाराज होते है और किसानों के फसल के लिए बारिश कराते थे। गोड़बाहरा के किसान इस तरह की शादी इससे पहले भी करा चुके हैं। किसानों ने मेढक़-मेढक़ी की शादी करा दी है और अब उन्हें इंद्रदेव के गुस्सा होने और गुस्से के बाद बारिश कराने की उम्मीद है। गोडबाहरा में लगभग 2 हजार की आबादी है। इस गांव में ट्यूबबेल तो है लेकिन पानी की कमी है। जिस वजह से किसानों को किसानी के लिए फसल पानी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल सकती है।