15 वर्षों की सक्रियता से सुरेश शुक्ला बने डॉक्टर
महासमुंद। जिले मे 15 वर्षो से जिले में सामाजिक कार्य के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने वाले युवा सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश शुक्ला को उनके अद्भुत कार्यक्षमता व् कार्यकुशलता का मूल्यांकन कर डाक्टरेट की उपाधि से नवाजा गया, डाक्टर शुक्ला डाक्टरेट से सम्मानित किये जाने वाले महासमुन्द जिले के सबसे कम उम्र के पहले युवा है सुरेश शुक्ला से डा. सुरेश शुक्ला बनने तक का सफ़र 15 वर्ष का रहा, महज बहुत ही कम अपने 25 वर्ष की आयु से ही महासमुन्द जिले में समाज के विभिन्न वर्गों के उत्थान के लिए लग गए 15 वर्षो में महासमुन्द जिले में उनके उपलब्धियों में अब तक 600 युवाओ को कम्प्यूटर व् आजीविका के अन्य विषयों में प्रशिक्षित कर चुके है, 600 महिलाओ को सिलाई तथा आजीविका के विभिन्न विषयों में प्रशिक्षण, के विषय में, समूचे जिले में 50000 से अधिक गरीब परिवारों के महिलाओ को महिला समिति के माध्यम से जोड़कर एक डिजिटल प्लेट फ़ार्म मे लाकर उनके लेन देन को सरलीकरण करने में विशेष योगदान रहा है, जिले के 25 गाँवों में किसानो का संगठन तैयार कर जैविक कृषि की ओर प्रोत्साहित किया गया तथा बाल कल्याण के क्षेत्र में पुरे देश में अब तक चाइल्ड हेल्प लाइन के माध्यम से 738 बच्चो का बचाव व् पुनरुत्थान किया गया, महासमुंद जिला जेल में 200 बंदियों को आजीविका के विषय में प्रशिक्षण देकर मुख्य धारा से जोड़े जाने हेतु प्रयास किया गया, इनकी विशेष उपलब्धियों में इनके स्वयं के द्वारा सांप पकड़ने वाली विशेष पिछड़ी जनजाति के बस्ती जोगीडेरा(तुमगांव) में स्कुल जाने योग्य बच्चो को स्कुल दाखिला कराया गया तथा जनजाति जो की पालीथीन के झोपड़ी में रहकर अपना गुजर बसर करते थे उनको सरकार संचालित प्रधानमंत्री आवास योजना की जानकारी प्रदान कर उपरोक्त योजना से लाभान्वित कराया गया, विशेष पिछड़ी कमार जनजाति के अनेक परिवारों को आजीविका तथा उनकी कलाकृति को निखारने का काम किया गया, इनके कार्यक्षमता को देखते हुए सरकार संचालित विभिन्न जिला स्तरीय सलाहकार समितियो में विशेष सदस्य के रूप में स्थान मिला हुआ है साथ ही राज्य सरकार के विभिन्न समितियों में सदस्य रहे है, महासमुंद जिले के महाविद्यालयों में जीवन कौशल, युवाओ को आजीविका के विभिन्न विषयों में मार्गदर्शन के लिए करार किया गया है, दिव्यांगो के हित साधने की दिशा में इनका पहल अनुकरणीय है जिले में लगभग हजारो दिव्यांगो को एक प्लेट फ़ार्म पर लाकर संगठन निर्माण करके उनके मूलभूत आवश्यकता व् दैनिक आवश्यकता की पूर्ति हेतु आजीविका प्रबंधन की दिशा में अनुकरणीय पहल किया गया, डाक्टर शुक्ला द्वारा सरकार संचालित अनेक योजनाओ को जन जन तक पहुँचाने का निरंतर कार्य किया गया, वैश्विक महामारी के दौरान भी इनके पाँव थमे नहीं जहाँ समूचा विश्व महामारी के आगोश में कोरोना के नियंत्रण व् निवारण की बाट जोह रहा था वही इनके द्वारा जन सामान्य को सहयोग पहुँचाने के लिए सरकार से अनुमति मांगी उपरोक्त अवधि में कोरोना के बढ़ते आंकड़े के अनुपात में चिकित्सीय सुविधा व् मैंन पावर की संख्या बहुत कम थी सरकार के पास संसाधन अपर्याप्त था, शासकीय संसाधनों की कमी के चलते इनको सरकार द्वारा अनुमति मिल गई और पूरी टीम के साथ जन आवश्यकता की चीजो की पूर्ति में लग गए कोरोना संक्रमण काल में ही सरकार के आह्वान पर स्वच्छता के निर्देशित किया गया सरकार के मंशा अनुरूप समयानुकूल इनके प्रयास से जिले में हर्बल हैण्ड सेने टाईजर, हैण्डवाश, मास्क, फेस शील्ड तथा हर्बल काढ़ा का निर्माण कराया गया साथ ही जरुरत मंदों को निःशुल्क वितरण किया I
जिले सहित पुरे राज्य में इनके कार्यकुशलता से प्रभावित होकर देश सहित विदेश की संस्थाए इनसे जुड़कर जिले के सामाजिक उन्नयन हेतु मार्गदर्शन लेते है I तयशुदा मापदंड में खरा उतरने के परिणाम स्वरुप इनको उपरोक्त सम्मान से नवाजा गया I डाक्टर शुक्ला द्वारा इस उपलब्धि का श्रेय अपने परिवार तथा उपरोक्त पुनीत कार्य में सदैव साथ देने वाले साथियो को दिया है I डाक्टर सुरेश शुक्ला की इस बड़ी उपलब्धि के लिए इष्ट मित्र, ग्राम व् जिले के स्वैच्छिक संगठन के पदाधिकारी द्वारा बधाई दिया गया I