भरे मंच में कार्यकर्ता ने अधिकारी को धोया… पोल खुलने के डर से अधिकारी लगे हैं मान मनव्वल में
महासमुंद। दिन और रात मेहनत कर सरकारी कार्यक्रमों को घर घर तक पहुंचाने वाली कार्यकर्ताओं को आज घंटों तक सभा में भीड़ के रूप में बैठा कर अपने पीठ थपथपाने वाले अधिकारियों के अपमानित करने के कृत्य ने शहर में चर्चा का विषय बना गया है। अपने ही अधिकारियों के क्रियाकलाप से ठगी गई महिलाएं अपमानित महसूस कर रही है। वहीं अधिकारी विरोध के डर से मान मनव्वल में लगे हैं।
आज महासमुंद शहर के जाने माने हाई स्कूल के प्रांगण में 14 नवम्बर को शिक्षक, छात्र छात्राओं सहित आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को सम्मान करने सभा में बुलाया गया था, लेकिन पूरे कार्यक्रम के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को कार्यक्रम के अंत तक सम्मान के लिए नहीं बुलाया गया। सुबह 10 बजे से इस सम्मान कार्यक्रम में पहुंचे आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को बिना सम्मान किए ही कार्यक्रम के समाप्ति की घोषणा विभाग द्वारा कर दी गई। अधिकारियों के द्वारा इस तरह से अपने ही कार्यकर्ताओं का किए अपमान से कार्यकर्ताओं का गुस्सा सातवें आसमान पर था। कार्यक्रम के अंत में एक कार्यकर्ता ने जिला परियोजना अधिकारी से सह सम्मान माइक मांग कर विभाग के अधिकारियों की जमकर बखिया उधेड़ने का काम किया है।
अधिकारियों की बेशर्मी की हद तब हो गई जब कार्यकर्ता अपनी बातों को कह रही थी और अधिकारी अपनी कुटिल हंसी छुपा भी नहीं रहे थे। कार्यक्रम के बाद अधिकारी को इस बात का अहसास हुआ कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को मोहरा बनाकर अपनी जो जेबे भरने का काम बदस्तूर जो चल रहा है, वह मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक ना हो जाए। इस बात का अहसास होते ही अधिकारी कार्यकर्ताओं के मान मनव्वल में लग गए हैं और फोन कर यह निवेदन कर रहे हैं कि बात मीडिया तक नहीं जानी चाहिए।
बताया जा रहा है कि आज के कार्यक्रम में अतिथि के रूप में उपस्थित नगर की प्रथम नागरिक राशि त्रिभुवन महिलांग ने भी भरे मंच पर अधिकारियों पर कटाछ करते हुए कहा कि क्या पूरे शहर में कोई भी इतनी पढ़ी लिखी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सहायिका नहीं है क्या, जो मंच का संचालन कर सके। आखिर शिक्षा विभाग से मंच संचालक हायर करना पड़ता है। प्रथम नागरिक द्वारा इस तरह के टिप्पणी के बावजूद भी अधिकारियों ने सम्मान करने बुलाए कार्यकर्ताओं को मंच पर चढ़ने तक नहीं दिया है।
गौरतलब है कि सरकारी अधिकारियों द्वारा क्षेत्र के नेता के सामने इस तरह के कार्यक्रमों में स्कूली बच्चों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं को अपना मोहरा बना कर कार्यक्रम के नाम पर लाखों रुपए का बिल पास कर अपनी जेबें भर रहे हैं। जिला प्रशासन के निर्वाचन कार्यक्रम से लेकर शासन प्रशासन और सरकार के सभी कार्यक्रमों में इन्हीं बच्चों और कार्यकर्ताओं को भीड़ के रूप में इकट्ठा किया जाता रहा है। लेकिन आज घटना ने इस बात को हवा दे दी है कि जिन कर्मचारियों को अधिकारी अपना गुलाम समझने की और शोषण को अपना अधिकार समझने वालों को आज मुंह की खानी पड़ी है। बहरहाल अब यह देखना होगा कि अधिकारियों द्वारा कार्यकर्ताओं का किए गए अपमान की लड़ाई कहां तक चलेगी।