महासमुंद टाइम्सराजनीति

किसका है ये बंद दरवाजा और सोसल मीडिया पर यह तस्वीर क्यों वायरल हो रही है…जानने के लिए पढ़े

महासमुंद। महासमुंद जिले के व्हाट्सएप ग्रुप में इस दिनों एक फोटो वायरल हो रहा है जिसमें ताला लटका हुआ है। इस बंद दरवाजे के पीछे क्यों इतनी बातें हो रही है। ये बंद दरवाजा कहां का है और यह फोटो इतना वायरल क्यों हो रहा है। राजनीतिक गलियारों में इस वायरल फोटो को लेकर तरह तरह की बातें हो रही है। आने वाले समय में ये बंद दरवाजा क्या राजनीतिक करवट लेगा। यह तो समय ही बताएगा।

हम आपको बताते हैं आखिर ये बंद दरवाजा कहा का हैं। यह बंद दरवाजा महासमुंद के हृदय स्थल में बना जनपद पंचायत के कार्यालय की है। जिस कक्ष में ताला लगा है वह कक्ष किसी और का नहीं महासमुंद जनपद पंचायत अध्यक्ष यतेंद्र साहू का है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार यह कक्ष कुछ दिनों से समय पर खुल रहा है और समय पर बंद हो रहा है। जिसको लेकर जनपद पंचायत के कुछ जन प्रतिनिधियों को आपत्ति है। कुछ सदस्यों का कहना है कि यह अध्यक्ष कक्ष सिर्फ अध्यक्ष यतेन्द्र साहू के बैठने के लिए नहीं बना है। यह कक्ष अध्यक्ष के अलावा, जनपद पंचायत में चुने गए सदस्यों के लिए भी है। जिस पर अध्यक्ष ने अपना कब्जा कर रखा है। जनपद पंचायत के कुछ सदस्यों ने कहा की कक्ष बंद होने की वजह से अन्य सदस्यों को भारी कठिनायों का सामना करना पड़ रहा है। अध्यक्ष कक्ष बंद होने की वजह से बाकी सदस्यों की बैठक व्यवस्था नहीं हो पाती है लिहाजा अन्य सदस्यों को यहां वहां भटकना पड़ रहा है। जिस वजह से उनसे मिलने पहुंचने वाले आम जनता और ग्रामीणों से मुलाकात नहीं हो पाती है। जिसकी वजह से जनपद के अन्य सदस्यों को आम जनता की परेशानियों को सुनने और निराकरण करने ने परेशानी हो रही है।

यहां यह कह पाना बड़ा मुश्किल है कि आखिर अध्यक्ष ने यह कमरा क्यों समय समय पर खोल और बंद कर रहे हैं। कल तक सब कुछ ठीक ठाक चल रहे कक्ष में ये ताला बंदी क्यों हो गई है। जिस कक्ष से जनपद पंचायत के सदस्यों के हंसी ठहाकों की आवाज आती थी वहां इतना सन्नाटा क्यों पसरा है। अध्यक्ष द्वारा इस कक्ष में ताला बंद करना और समय पर खोलने बंद करने के क्या कारण है इस विषय पर हम कभी और चर्चा करेंगे। लेकिन हम आपको यह बताना चाहते हैं कि जनपद पंचायत के इस बंद कक्ष ने कई तरह के पुराने जख्मों को कुरेद दिया है। आने वाले दिनों में यह क्या राजनीतिक रंग लेगा यह तो भविष्य के गर्त में है।

Ravindra Vidani

सम्पादक रविन्द्र विदानी 7587293387, 9644806708

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