महासमुंद टाइम्स

आखिर क्यों कर रहे हैं इतनी तादात में लोग आत्महत्या… पढ़िए पूरी रिपोर्ट

महासमुंद। भारत में नवीनतम राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-2016 के आँकणों के अनुसार लगभग 15 करोड़ लोगों के मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल की आवश्यकता है। 2017 के एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 20 करोड़ मानसिक रोगी हैं जो कि कुल जनसंख्या का लगभग 14.3 प्रतिशत हैं। हमारे देश में प्रतिवर्ष आत्महत्या से लगभग एक लाख से अधिक जानें जाती हैं और इसमें 15 वर्ष से लेकर 29 वर्ष तक की आयु वर्ग के लोग सबसे अधिक हैं। मानसिक रोगों के प्रति स्वयं व्यक्ति , उसके परिवार व समाज का रवैया उदासीन होता है व सामाजिक स्तर पर इसे सामाजिक कलंक के रूप में देखा जाता है । हमारे समाज में मानसिक स्वास्थ्य व मानसिक रोगों को लेकर जानकारी का भी बहुत अभाव है । लोग सामान्य रूप से तनाव , चिंता व डिप्रेशन आदि मुद्दों पर भी बात करने से बचते हैं। विश्व की आठ अरब की आबादी में लगभग 1 अरब लोग अनिद्रा से पीड़ित हैं। अनिद्रा ( Insomnia) यदि लंबे समय तक बनी रही तो व्यक्ति को कई शारीरिक बीमारियों से पीड़ित कर सकती है। आयुर्वेद के महान आचार्य चरक कहते हैं कि कभी कभी शारीरिक व्याधियां , मानसिक व्याधियों की व मानसिक व्याधियां शारीरिक व्याधियों का अनुवर्तन करती हैं । इसका साधारण अर्थ यह है कि शारीरिक व्याधियां मानसिक व्याधियों की और मानसिक व्याधियां शारीरिक व्याधियों को उतपन्न करती हैं। इसलिए हमें अपने शरीर व मन दोनों का ध्यान रखना चाहिए। आयुर्वेद प्राचीन काल से स्वास्थ्य व रुग्णावस्था के संदर्भ में मनोदैहिक अवधारणा (Psychosomatic concept) की बात करता है।

आज भारत की एक बहुत बड़ी आबादी मोटापा , मधुमेह , हृदय रोग व उच्चरक्तचाप से ग्रसित है और भारत में मृत्यु के बहुत बड़े कारणों में से एक हैं ये सब बीमारियां , इन बीमारियों से ग्रसित होने में मानसिक तनाव एक बहुत बड़ा कारण है । हमारे देश भारत में लगभग 60 प्रतिशत मृत्यु गैर संचारी रोगों (NCD) के द्वारा होता है और गैर संचारी रोगों के कारणों में मानसिक तनाव ( Stress) एक बहुत बड़ा कारण है । यही कारण है कि हमारे समाज में तनाव प्रबंधन पर बहुत अधिक जोर देना चाहिए। सोरियासिस , रूमेटॉयड अर्थराइटिस, अल्ज़ाइमर डिजीज , पार्किंसन डिजीज व अन्य अनेक बीमारियां मानसिक तनाव की अधिकता में और अधिक गंभीर हो जाती हैं ।
मानसिक रोगों के सामान्य लक्षण क्या हैं और हम कैसे पहचानें कि कोई व्यक्ति मानसिक रोगों से पीड़ित हो सकता है ?
लम्बे समय से नींद का न आना या बहुत अधिक आना , उदासी या चिड़चिड़ापन , बहुत अधिक क्रोध आना , किसी भी कार्य में मन न लगना, बार बार आत्महत्या का विचार आना, कानों में तरह तरह की आवाज़ें सुनाई पड़ना , बार बार स्वयं के खिलाफ साजिश की अनुभूति होते रहना , हर बात पर संदेह करते रहना , भूख का अधिक लगना या कम लगना , स्वयं को ईश्वर समझने लगना और लोगों को बाध्य करना कि उसे उसी स्वरूप में लोग स्वीकारें, बिल्कुल चुप हो जाना और एक स्थान पर खुद को सीमित कर देना , सामाजिक रूप से स्वयं को बिल्कुल अलग कर लेना ,स्पष्ट कारण के अभाव में शरीर में दर्द का बने रहना , बार बार ऐसे भाव मन में आना कि उसके शरीर में कोई विकृति हो गई है और चिकित्सकों के समझाने के बाद भी यह बात न स्वीकार करना कि वह स्वस्थ है । बार बार हाथों को धोना या लॉक लगाकर बार बार उसे चेक करना तथा अपने उस प्रवृत्ति पर नियंत्रण न रख पाना आदि लक्षण मानसिक रोगियों में मिल सकते हैं । इसका अर्थ यह नहीं है कि व्यक्ति ऐसे लक्षणों के होने पर मानसिक रोगी हो । मनोविकार का निर्धारण किसी चिकित्सक द्वारा ही किया जाएगा। ऐसे लक्षण/लक्षणों के मिलने पर चिकित्सक से संपर्क करें । यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि गंभीर मानसिक रोगों से पीड़ित व्यक्ति स्वयं चिकित्सक के पास नहीं जाएगा उसको ले जाने का कार्य परिवार या समाज के लोगों को करना होगा। गंभीर मानसिक रोगों जैसे सीजोफ्रेनिया आदि के रोगियों को यह लगता ही नहीं कि वह बीमार है इसलिए परिवार व समाज के लोगों की ज़िम्मेदारी और अधिक हो जाती है ।
मानसिक रूप से अस्वस्थ होने या किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में जो लगता है कि मानसिक रोगी हो सकता है उसकी पहचान हो जाने पर सर्वप्रथम क्या करें ?
सबसे पहले तो उस व्यक्ति को समझाने का प्रयास करें व यथाशीघ्र स्वास्थ्य केंद्र तक उसको लेकर जाएं । ध्यान रहे आत्महत्या का प्रयास एक साइकियाट्रिक इमरजेंसी है इसलिए ऐसे व्यक्ति को बिल्कुल अकेला न छोड़ें व स्वास्थ्य केंद्र तक ले जाएं।
चिकित्सक द्वारा दिए गए सलाहों व मेडिसिन को नियमित रूप से लें । मानसिक रोगियों को दी गई मेडिसिन को बच्चों की पहुँच से दूर रखें। कुछ मानसिक रोगियों में यह देखा गया है कि वो जब वह ठीक होने लगता है तब उसमें आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ जाती है । सीजोफ्रेनिया के रोगियों में ऐसा देखा जाता है इसलिए बहुत अधिक केयर की ज़रूरत होती है मानसिक रोगियों को।
तनाव को कम करने के लिए भरपूर नींद लें और अपने ब्लड शुगर व रक्तचाप को नियंत्रित रखें । योग , ध्यान , व्यायाम व ताजे फलों का सेवन करें । व्यायाम से शरीर में प्रसन्नता उतपन्न करने वाले रासायनिक पदार्थों का निर्माण होता है। आधुनिक शोधों से पता चला है कि हमारे आहार का हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर व्यापक प्रभाव पड़ता है । Nutritional psychiatry , मानसिक रोगों में आहार के महत्व का अध्ययन करता है ।
आयुर्वेद के चरक संहिता में मेध्य रसायन का वर्णन है जिसके उपयोग से मेधा शक्ति का विकास , तनाव प्रबंधन व स्मृति के स्तर का संरक्षण आदि प्रभाव परिलक्षित होता है । मण्डूकपर्णी , गुडुची , यष्टि मधु , शंखपुष्पी जैसे मेध्य रसायन का उपयोग हमें करना चाहिए।
‘Mental health is a universal human right ‘ थीम के साथ इस वर्ष विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया गया है। लोगों में मानसिक स्वास्थ्य व मानसिक रोगों के प्रति जागरूकता बढ़ाना मुख्य उद्देश्य होता है , विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का।
मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 2017 पूरे देश में 29 मई 2018 से प्रभावी रूप से कानून के रूप में लागू है । मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम (MHA) 2017 मानसिक रोगियों के क़ानूनी हितों की रक्षा करता है।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के डी आई पी डब्ल्यू डी विभाग द्वारा मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास हेल्प लाईन किरण का शुभारंभ 13 भाषाओं में किया गया है।
हेल्प लाईन टॉल फ्री नंबर है 18005990019। इस नंबर पर 24 घण्टे सप्ताह के सातों दिन कॉल करके मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े समस्याओं पर सलाह व समाधान प्राप्त किया जा सकता है। अपने विचारों व समस्याओं को लेकर मुखर हों और अपने मित्रों , परिवार या किसी मनोचिकित्सक से समय रहते बात करें साथ ही साथ परामर्श लें ताकि उचित ईलाज किया जा सके। हम सभी को मिलकर सकारात्मक व सक्रिय रूप से भाग लेकर समाज को स्वस्थ रखने में सहायक होना चाहिए।
आत्महत्या के मामलों में छत्तीसगढ़ राज्य राष्ट्रीय स्तर पर चौथे स्थान पर है । महासमुंद जिला आत्महत्या के मामलों में सबसे अधिक प्रभावित है । 2015 में राष्ट्रीय स्तर पर हुए एक सर्वेक्षण से पता चला कि प्रति एक लाख आबादी में 28 लोग आत्महत्या कर रहे हैं। मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को देखते हुए शासकीय आयुष पॉली क्लिनिक महासमुंद ( संजय कानन के ठीक सामने स्थित परिसर , बागबाहरा रोड खैरा महासमुंद) के प्रभारी व मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सर्वेश दूबे ने बताया कि नागरिकों को मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य लाभ के लिए शासकीय आयुष पॉली क्लिनिक महासमुंद में आना चाहिए। डॉक्टर सर्वेश दूबे ने बताया कि सत्वावजय चिकित्सा के माध्यम से मानसिक रोगियों को बहुत लाभ प्रदान किया जाता है।
राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत आयुर्विद्या कार्यक्रम , संचालनालय आयुष रायपुर के निर्देशानुसार , जिला आयुर्वेद अधिकारी जिला महासमुंद डॉक्टर प्रवीण चंद्राकर के मार्गदर्शन में जिले में संचालित है। कक्षा 1 से लेकर 12 वीं तक के विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में आयुर्वेद के माध्यम से योगदान को लक्ष्य के रूप में रखकर 30 अक्टूबर 2023 से यह कार्यक्रम मूर्तरूप में है। बच्चों में तनाव प्रबंधन व जीवन शैली में सुधार करके उनके जीवन की गुणवत्ता को उत्तरोत्तर बेहतर बनाने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम में डॉक्टर सर्वेश दूबे द्वारा निरंतर प्रयास किया जा रहा है। दिनाँक 5 दिसम्बर 2023 तक कुल 9 स्कूलों का विजिट किया जा चुका है। इस कार्यक्रम के माध्यम से अबतक 800 से अधिक विद्यार्थियों से सम्पर्क स्थापित किया जा चुका है। 200 से अधिक विद्यार्थियों का स्वास्थ्य परीक्षण व शैक्षणिक तनाव का परीक्षण कर उनकी समस्याओं का समाधान किया जा चुका है। शासकीय आयुष पॉली क्लिनिक महासमुंद , ग्राम खैरा , संजय कानन के ठीक सामने स्थित परिसर में आयुर्वेद , योग , यूनानी व होम्योपैथी की चिकित्सा उपलब्ध है।

Ravindra Vidani

सम्पादक रविन्द्र विदानी 7587293387, 9644806708

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