भष्ट्राचार का परियाय बना महासमुन्द का महिला बाल विकास विभाग
महासमुन्द जिले का महिला बाल विकास विभाग इन दिनों अपना कारमानों को लेकर सुर्खियों में है। जिले में लगातार महिला बाल विकास विभाग के कर्मचारियों के भष्ट्राचार की शिकायते मिलती रहती है। ऐेसा ही एक मामला बसना ब्लॉक का सामने आया है जहां महिला बाल विकास विभाग की पर्यवेक्षक श्रीमती लक्ष्मी मिश्रा द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से लाखों रुपए घुस ले रही है और जिसकी शिकायत बसना परियोजना अधिकारी से की गई थी जहां न्याय ना मिलने पर शिकायत लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कलेक्टर के पास पहुंची।
बसना ब्लॉक के बाराडोली सेक्टर की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने कलेक्टर को शिकायत में जानकारी देते हुए बताया है कि बाराडोली में कुल 31 आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित है। यहां की पर्यवेक्षक श्रीमती लक्ष्मी मिश्रा के द्वारा लाकडाउन के वक्त बांटे गये सूखा राशन की राशि का कमीशन के रूप में 44 हजार 5 सौ रुपए खाता क्रमांक 31617633569 में आंगनबाड़ी की महिलाओं से कमीशन के रूप में डरा धमका कर ली है। इसके अलावा प्रति माह गरम भोजन की मिलने वाली राशी में 250 रुपए प्रतिमाह 31 केन्द्र से वसूल कर रही है। आंगनबाड़ी महिला कार्यकर्ताओं द्वारा जब पर्यवेक्षक लक्ष्मी मिश्री के अवैध वसूली की राशि नहीं देने पर महिलाओं को मानदेय काटने की धमकी दी जाती है। पर्यवेक्षक के कारनामें इनता ही नहीं इससे कहीं और ज्यादा है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा उन्हें घरेलू कार्य के लिए अवकाश लेना होता है तब उन्हें प्रतिदिन अवकाश का सौ रुपए परिवेक्षक को घुस देना होता है तब कहीं जाकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की छुट्टी मंजूर की जाती है।
आंगनबाड़ी बाराडोली की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास के परियोजना अधिकारी को 2 मई 2022 को लिखित में शिकायत की थी। जिस पर बसना परियोजना अधिकारी ने जांच कर लक्ष्मी मिश्री परिवेक्षक को आरोप मुक्त दिया था। जिसके बाद से ही परिवेक्षक लक्ष्मी मिश्रा के हौसले बुलंद हो गये और उनके द्वारा उगाही बदस्तूर जारी है। बसना परियोजना अधिकारी के जांच से असंतुष्ट आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने कलेक्टर से मिलने कर जांच कर कार्रवाई की मांग की है। बाराडोली की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने डीपीओ समीर पांडे से मिलकर आवेदन सौंप कर निश्पक्ष जांच की मांग की है। हालांकि एक माह पहले बसना कार्यालय परियोजना अधिकारी द्वारा शिकायत और शिकायत के बाद जांच की बात समीर पांडे डीपीओ को नहीं है ऐसा उनका कहना है।
गौरतलब है कि महासमुन्द महिला बाल विकास विभाग भ्रष्टाचार का परियाय बन चुकी है। कभी मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना में दिये जाने वाले सामानों के खरीदी में कमीशन खोरी की शिकायत तो कभी पर्यवेक्षकों द्वारा कार्यकर्ताओं से कमीशन मांगने की शिकायत लगातार कलेक्टर और महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों को की जाती रही है लेकिन जांच कराने के नाम पर अधिकारी मामले को जानबूझ कर लंबित रखते हैं और दोषियों को बचा लिया जाता है। जिले भर के आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा मीडिया को और अधिकारियों को लगातार इस बात की शिकायत मिलती रहती है कि पर्यवेक्षकों द्वारा कोई काम नहीं किया जाता है। पर्यवेक्षक अपने सारे काम आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से ही करा लेते है। कम वेतन में काम करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का लगातार महिला बाल विकास विभाग के उच्चाधिकारियों द्वारा शोषण किया जा रहा है।
मालूम हो कि बाराडोली की महिला आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने कलेक्टर और महिला बाल विकास के जिला अधिकारी समीर पांडे को शिकायत करने के बाद मीडिया से मुलाकात में स्पष्ट किया कि बाराडोली के पर्यवेक्षक श्रीमती लक्ष्मी मिश्रा को 47 हजार रुपए बैंक के खाते में जमा कराया गया वहीं फोन पेय के राशि ट्रांस्र्फर किया गया है। ट्रांस्फर आईडी टी2110151245433542240000 में 22 हजार 500 सौ लक्ष्मी मिश्री के नाम से ट्रांस्फर किया गया है।आईडी नम्बर टी 2110151246163139398725 में 4 हजार लक्ष्मी मिश्रा के नाम से ट्रांस्र्फर किया गया है। बाराडोली के आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा साक्ष्य के साथ किये गये शिकायत के बावजूद बसना परियोजना अधिकारी द्वारा लक्ष्मी मिश्रा परिवेक्षक को निर्दोष करार देने कई तरह के संदेह को जन्म देता है।